दुनियाँ को आती है मजा वार में
हमको आता है मजा तेरे प्यार में …..
लोग जल रहें हैं यहाँ नफ़रत की आग से
आओ मिलकर बुझादें इसे प्रेम की राग से….
कब तक बांटें फिरते रहोगे राम – रहीम को
ख़ून एक जैसा ही है पूछलो सब हकीम को…..
सबको जोड़ें रखे जो वो मजहब नेक है
बांटता है जो लोगों को वो मजहब फेक है …..
मुरत को पुजते है दिल की तो सुनते नहीं
क्या सही ?, क्या गलत है ? वे चुनते नहीं …
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