मृत्यु का भय आनंद की है बाधा
जीवन को जिसने प्रेम से साधा
आधा दिन है जीवन रात आधा
न है विस्मय आनंद का ही समय ।
करता मृत्यु का सदा स्वागत
न आशंका न कोई है कामना
हृदय प्रशन्नता से भरा रहे
जो उसे मिला वह सबको दे ।
सहानुभूति की रस धार बहे
जले आत्मज्ञान की ज्योति
विश्व में फैलता यह उजियारा
बनता जगत में महान विभूति ।
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