Rah – E – Dahar / राह ए – ए- दहर देख रहा हूं या हमें कोई दिखा रहा है खुद से समझा या कोई �... sanjay sathi
Mitti meri maa hai | मिट्टी मेरी मां है मिट्टी मेरी मां है इसकी सोंधी-सोंधी खुशबू बचपन में मम�... sanjay sathi
Kisan ki duvidha | किसान की दुविधा किसान अतका कमाथौ कहाँ जाथौ कई बच्छर होगे तभू ले भी अपन... sanjay sathi
Samjhaa nahi kyon | समझा नहीं क्यू समझा नहीं क्यों किसी ने हमको ? या समझा नही है हमने उन�... sanjay sathi
Intzaar kiska karta | इंतज़ार किसका करता कुछ मन कह रहा है घाव बड़ा ही गहरा है शांत, क्लांत, एक�... sanjay sathi
Baaton se baaten | बातों से बातें बातों से बातें हैं बनती बात बढ़ाने से बात बिगड जाती ब... sanjay sathi
Shahar walon kabhi aao gaon | शहर वाले कभी आओ गांव शहर वालों कभी आओ गांव रात बिताओ देखो धूप- छांव जीवन... sanjay sathi
Mushkilon se mukhatib | मुश्किलों से मुख़ातिब मंजिल की राहों पर मुसीबतें आती ही हैं हमको सब बतान... sanjay sathi
Zindagi ka bhanwar | जिंदगी का भंवर देखा है मौत को भी हांफ्ते- हांफ्ते जिंदगी को देखा है क... sanjay sathi
Sirmaur ka Samay | सिरमौर का समय चल रहा हो जब दहशत का दौर हो धीर वीर करना सब कुछ गौर वक्�... sanjay sathi
Jable Aaish Baadar kariya | जबले आइस बादर करिया जबले आइस बादर करिया किसान के मन होंगे हरिया मेचका मन �... sanjay sathi
Teri hansi ek dawa hai | तेरी हंसी एक दवा है तेरी हंसी एक दवा है कहने लगी ये हवा है जाने ना तूने मु... sanjay sathi
Rang gaye Rangon me | रंग गए रंगों में पानी था मैं ना कोई था रंग लोगों ने क्या-क्या रंग डाला ... sanjay sathi
Chamakte dikhe hain | चमकते दिखे हैं रात के पन्नों पर पुरानी यादों के कुछ भविष्य के सपन�... sanjay sathi
Viyaktitv ka hai astitv | व्यक्तित्व का है अस्तित्व व्यक्तित्व का है अस्तित्व इतिहास गवाह है इसका &nbs... sanjay sathi
Kalpanaon me hakiqat | कल्पनाओं में हक़ीक़त कल्पनाओं में आ हकीकत को मिलके हम दोनों ढूंढें ख�... sanjay sathi
Dhuaan jahan bhee uthe | धुआं जहां भी उठे पैकरों के पीछे पैकारों की कई कहानियां हैं क... sanjay sathi
Safar abhi baaki hai | सफ़र अभी बाकी है ज़रा धीरे धीरे चल सफर अभी है बाकी पैमाना भरके �... sanjay sathi
Andhere me jaaunga | अंधेरे में जलाऊंगा अंदर धंस रहा हूं ….. खुद को बाहर कैसे मैं नि�... sanjay sathi
Bharose ka aashiyana jalta h / भरोसे का आशियाना जलता है अपने ही अपनों पर जब आफत बन जाए लगता है जीवन में औ�... sanjay sathi
Har umra ki duniya | हर उम्र की दुनियां हर उम्र की दुनियां अलग होती है कभी बड़ी तो कभी... sanjay sathi
Jhul gaye kuch lekar armaan | झूल गए कुछ लेकर अरमाँ झूले गए कुछ लेकर अरमां तेरे बेटे भारत मां आई जब ... sanjay sathi
Log kahte hain humne ghar banaya | लोग कहते हैं हमने घर बनाया बड़े प्यार से ईंट – पत्थरों को सजाया घर दिखाने को हम... sanjay sathi
Khudka kabristan | खुदका कब्रिस्तान अकड़ के चलता है आज हर पीने वाला खुद को अर्थव्यवस्थ�... sanjay sathi
Madari aur Manav | मदारी और मानव करती प्रकृति खुद को संतुलन स्वच्छ होती वायु ,नीलगगन ह�... sanjay sathi
Savaal Antas Sambhaal | सवाल अंतस संभाल खुद को खोज तू हर रोज कमतर न आंक ये समझ कल क्या ... sanjay sathi