Literature, Poem Jable Aaish Baadar kariya | जबले आइस बादर करिया जबले आइस बादर करिया किसान के मन होंगे हरिया मेचका मन �... sanjay Sathi
Literature, Poem Jivan – Maran | जीवन मरण आ मृत्यु तुझे जीवन दिखाता हूं मारेगा कौन किसे यह बता... sanjay Sathi
Literature, Poem Jivan Ras | जीवन रस अदृश्य है वह सारा दृश्य उसका खुदके गहराईयों में वह म... sanjay Sathi
Literature, Poem Teri hansi ek dawa hai | तेरी हंसी एक दवा है तेरी हंसी एक दवा है कहने लगी ये हवा है जाने ना तूने मु... sanjay Sathi
Literature, Poem Rang gaye Rangon me | रंग गए रंगों में पानी था मैं ना कोई था रंग लोगों ने क्या-क्या रंग डाला ... sanjay Sathi
Literature, Poem Chamakte dikhe hain | चमकते दिखे हैं रात के पन्नों पर पुरानी यादों के कुछ भविष्य के सपन�... sanjay Sathi
Literature, Poem Maut se Samna | मौत से सामना मरने की चाह रखता हूँ साथी कुछ कर गुजरने की कामना विच�... sanjay Sathi
Literature, Poem Banege Samandar | बनेंगे समुन्दर बनेगें हम ऐसा समंदर सब नदियां आएंगी अंदर । माना �... sanjay Sathi
Literature, Poem Musaafir hun | मुसाफ़िर हूँ मुसाफ़िर हूं यारों फिरता जग सारा चला अकेला कहीं स�... sanjay Sathi
Literature, Poem Bhavnayen | भावनायें भावों से शब्दों का सृजन है शब्दों से है भावों की बौछर ... sanjay Sathi
Literature, Poem Banke Dariya | बनके दरिया बनके दरिया हुं बहने लगा जिधर तू चली उधर बह चला तू �... sanjay Sathi
Literature, Poem Viyaktitv ka hai astitv | व्यक्तित्व का है अस्तित्व व्यक्तित्व का है अस्तित्व इतिहास गवाह है इसका &nbs... sanjay Sathi
Literature, Poem Kalpanaon me hakiqat | कल्पनाओं में हक़ीक़त कल्पनाओं में आ हकीकत को मिलके हम दोनों ढूंढें ख�... sanjay Sathi
Literature, Poem Karm h mera pran | कर्म है मेरा प्रण युद्ध हो असत्य से हर बार लड़ूंगा अपने हो विपक्�... sanjay Sathi
Literature, Poem Yakhya prashn | यक्ष प्रश्न पांच साल की परीक्षा में हर चेहरे पर है नकाब &... sanjay Sathi
Literature, Poem Pankh mere | पंख मेरे पंख मेरे होते तो मैं उड़ जाती उड़ – उड़ के मीठे फ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Dhuaan jahan bhee uthe | धुआं जहां भी उठे पैकरों के पीछे पैकारों की कई कहानियां हैं क... sanjay Sathi
Literature, Poem Gumshuda hain vo | गुमशुदा हैं वो हंसना था जब हंसे नही जो बेवजह आज उनको हंसत�... sanjay Sathi
Literature, Poem Ammooman vo log | अमूमन वो लोग इसी तरह मिलते हैं अमूमन वह लोग जो तानों में ही अ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Safar abhi baaki hai | सफ़र अभी बाकी है ज़रा धीरे धीरे चल सफर अभी है बाकी पैमाना भरके �... sanjay Sathi
Literature, Poem Andhere me jaaunga | अंधेरे में जलाऊंगा अंदर धंस रहा हूं ….. खुद को बाहर कैसे मैं नि�... sanjay Sathi
Literature, Poem Bharose ka aashiyana jalta h / भरोसे का आशियाना जलता है अपने ही अपनों पर जब आफत बन जाए लगता है जीवन में औ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Har umra ki duniya | हर उम्र की दुनियां हर उम्र की दुनियां अलग होती है कभी बड़ी तो कभी... sanjay Sathi
Literature, Poem Jhul gaye kuch lekar armaan | झूल गए कुछ लेकर अरमाँ झूले गए कुछ लेकर अरमां तेरे बेटे भारत मां आई जब ... sanjay Sathi
Literature, Poem Log kahte hain humne ghar banaya | लोग कहते हैं हमने घर बनाया बड़े प्यार से ईंट – पत्थरों को सजाया घर दिखाने को हम... sanjay Sathi
Literature, Poem Naye sire se | नए सिरे से मैं जीना सीख रहा हूँ सामने हैं मेरे कई प्रश्न &nbs... sanjay Sathi
Literature, Poem Khudka kabristan | खुदका कब्रिस्तान अकड़ के चलता है आज हर पीने वाला खुद को अर्थव्यवस्थ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Andhi daud | अंधी दौड़ बहुत पड़ी पुस्तक पोथी क्या हुआ स्वार्थी ? ढ़ोंग सब �... sanjay Sathi
Literature, Poem Parivartan | परिवर्तन हमने वक्त को बदला वक्त ने हमको बदला चला अदला बदली �... sanjay Sathi
Literature, Poem Guruvar | गुरुवर जलाई ज्ञान की ज्योति बहाई प्रेम की गंगा बनाया हमको उ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Hansta hun Tanhai me हमेशा ऊंचाइयों में उड़ने का हौसला रखा कुछ भी हो �... sanjay Sathi
Literature, Poem Madari aur Manav | मदारी और मानव करती प्रकृति खुद को संतुलन स्वच्छ होती वायु ,नीलगगन ह�... sanjay Sathi
Literature, Poem Kuchh prashn | कुछ प्रश्न मासूम निगाहें देखती अपलक लिखने पढ़ने की है उनमे�... sanjay Sathi
Literature, Poem Savaal Antas Sambhaal | सवाल अंतस संभाल खुद को खोज तू हर रोज कमतर न आंक ये समझ कल क्या ... sanjay Sathi
Literature, Poem He Param Parmatma | हे परम परमात्मा हे परम तत्व हे परमात्मा हे परम तत्व हे पर�... sanjay Sathi
Literature, Poem Dhuaan Bankar rah gaye जलके रोशन हो न पाये धुँआ ही बनकर रह गए जलाया हम... sanjay Sathi
Literature, Poem Himalay ki unchaiyon se puchho | हिमालय की ऊंचाइयों से पूछो हिमालय की ऊंचाइयों से पूछो गहराइयों में है कौन ? गहराइ... sanjay Sathi
Literature, Poem Jalke Roshan | जलके रोशन जलके रोशन हो न पाये धुँआ ही बनकर रह गए जलाया हमें क्�... sanjay Sathi
Literature, Poem Sandali dhoop | संदली धूप सुबह- सुबह की संदली धूप जब पड़ती है खिल उठता है तन, मन ह�... sanjay Sathi
Literature, Poem Yaadein | यादें याद आती है हमको वह पल जब थे दीवाना कंवल का खिलना वो भं... sanjay Sathi
Literature, Poem Tu kahan gaya | तू कहाँ गया सब कुछ शुन्य हो रहा मेरा दोस्त न जाने कहां जा रह... sanjay Sathi
Literature, Poem Jindagi ki patang | ज़िन्दगी की पतंग खामोशी तेरी कुछ कह रही है सदा तू क्यों है खफा ? पास आ प�... sanjay Sathi
Literature, Poem Paas to aa | पास तो आ पास तो आ … कुछ गुफ्तगू कर मौत से यू ना डर वक्त मौत के ... sanjay Sathi
Literature, Poem Khudki khoj | खुद की ख़ोज कभी खुद की गहराइयों में उतरे डर ने कभी उतरने ही नहीं द... sanjay Sathi
Literature, Poem Banke meri sahas | बनके मेरी साहस तू बनके मेरी साहस रग में बहती है धड़कनों से तूने यह... sanjay Sathi
Literature, Poem Zindagi k panne | ज़िन्दगी के पन्ने जिंदगी के किताब के पन्नों में रात और दिन एक -एक पेज ... sanjay Sathi
Literature, Poem Nav Aakaar | नव आकार तपे आग में नित हाव-हाव रंग लाल हो बनता स्वभाव रक्त त... sanjay Sathi
Literature, Poem Raat ke panno me | रात के पन्नो मे रात के पन्नों पर …. पुरानी यादों के कुछ तो कुछ भव�... sanjay Sathi
Literature, Poem Varsha | वर्षा प्यासी धरती प्यासा वन पिघल उठा बादल का मन टिप टिप पा�... sanjay Sathi
Literature, Poem Aarzoo | आरज़ू तू बन जाए मैं मैं बन जाऊं तू दिल में ना रहे कोई आरजू …... sanjay Sathi
Literature, Poem Nishabd hun | निःशब्द हूँ नि:शब्द हूं स्तब्ध हूं समझाने वाला मौन हो गया कैसे क�... sanjay Sathi
Literature, Poem Vicharon ka sansaar | विचारों का संसार बादल उमड़ – घुमड़ रहे बिजली भी चमक रही सहमा सहमा सा सब �... sanjay Sathi
Literature, Poem Karzdar hun main | कर्ज़दार हूँ मैं कर्जदार हूं मैं सबका जिन्होंने समझा उनका जिन्होंने... sanjay Sathi
Literature, Poem Shankhnaad | शंखनाद अग्नि सा प्रचंड तेज वायु सा प्रबल वेग धर धरा का धैर्�... sanjay Sathi
Literature, Poem Aanand | आनंद मृत्यु का भय आनंद की है बाधा जीवन को जिसने प्रेम से सा... sanjay Sathi
Literature, Poem Purusharth | पुरुषार्थ अंधियारी रात है स्तब्ध मन आकुल -व्याकुल पसीने से लतफथ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Sawaal jawaab | सवाल ज़वाब हर तरफ लाशों ही लाशों का मंज़र है कौन है ? वार करता सीन... sanjay Sathi
Literature, Poem Samajh na paye | समझ न पाए समझ ना पाए हम जिंदगी को क्या हकीकत है ? क्या फसाना ? &... sanjay Sathi
Literature, Poem Pankhudiyaan | पंखुड़ियां यूं तो पंखुड़ियां सुखी हैं पर भाव अभी भी है हरे इस आप�... sanjay Sathi
Literature, Poem Nigahen | निगाहें आपकी नज़रों को जब हमने देखा उसमें एक छलकता समंदर नजर आ�... sanjay Sathi
Literature, Poem Chhoti Chhoti si khushiyan | छोटी-छोटी सी खुशियां छोटी-छोटी सी खुशियां थी छोटी सी अटखेली, याद आती है वो ... sanjay Sathi
Literature, Poem Fakira ki Fakiri | फकीरा की फकीरी सब में कोई तो है जो सब को समझता है सदियों से देखता आ रह�... sanjay Sathi
Literature, Poem Baaten karte rahna A चाहे हो कितने भी झगड़े बातें करते रहना लेना जिम्म... sanjay Sathi
Literature, Poem Niyaay kahin hamko mil jaay कितने चक्कर हमने लगाए न्याय कहीं हमको मिल जाए �... sanjay Sathi
Literature, Poem Dusra lahar Kovid-19 कोविड का लहर फिर ढाया कहर आया अब नए नए स्ट्रेन में नए- न... sanjay Sathi
Literature, Poem Rangmanch | रंगमंच रंगमंच के हम किरदार निभाएं रोल असरदार खुद ही समझे खुद ... sanjay Sathi
Literature, Poem Kuchh Naya kar | कुछ नया कर अभाव में ही बनता स्वभाव जीवन से ना हो अलगाव निज अं�... sanjay Sathi
Literature, Poem Hamne dekhe the josapne हमने देखे थे जो सपने टूट गए सारे वो अपने चली थी �... sanjay Sathi
Literature, Poem Jan gan man | जन गण मन जड़ से जल तो ऊपर जाता बाकी का समझ नहीं आता जड़ को जो ह�... sanjay Sathi
Literature, Poem Maikhaane me | मयखाने में मयखाने में बैठे मय औऱ मीना साथ में पीना बैठने सोचे …�... sanjay Sathi
Literature, Poem Chhotu aur Chand | छोटू और चाँद चाँद – चाँद सुनो ना ………. मुझे अंधेरों से डर लगता है... sanjay Sathi
Literature, Poem Chand nikalta hai | चाँद निकलता है चाँद निकलता है चलते – चलते कहता है वक्त ठहरता है कहा... sanjay Sathi
Literature, Poem Kanha se kanha pahuchaya वक्त ने मुझको कहां से कहां पहुंचाया ? सोचा नहीं थ�... sanjay Sathi