Literature, Poem Mushkilon se mukhatib | मुश्किलों से मुख़ातिब मंजिल की राहों पर मुसीबतें आती ही हैं हमको सब बतान... sanjay sathi
Literature, Poem Zindagi ka bhanwar | जिंदगी का भंवर देखा है मौत को भी हांफ्ते- हांफ्ते जिंदगी को देखा है क... sanjay sathi
Literature, Poem Jindagi ki daud आगे आके सोचता हूँ कहां हूं सब जगह लगता तन्हां तन्हां द... sanjay sathi
Literature, Poem Sirmaur ka Samay | सिरमौर का समय चल रहा हो जब दहशत का दौर हो धीर वीर करना सब कुछ गौर वक्�... sanjay sathi
Literature, Poem Avasaron ka Aasmaan उठ काम करने खड़े होजा छोटे छोटे से तू बड़े होजा । देख स... sanjay sathi
Literature, Poem Jable Aaish Baadar kariya | जबले आइस बादर करिया जबले आइस बादर करिया किसान के मन होंगे हरिया मेचका मन �... sanjay sathi
Literature, Poem Jivan – Maran | जीवन मरण आ मृत्यु तुझे जीवन दिखाता हूं मारेगा कौन किसे यह बता... sanjay sathi
Literature, Poem Jivan Ras | जीवन रस अदृश्य है वह सारा दृश्य उसका खुदके गहराईयों में वह म... sanjay sathi
Literature, Poem Teri hansi ek dawa hai | तेरी हंसी एक दवा है तेरी हंसी एक दवा है कहने लगी ये हवा है जाने ना तूने मु... sanjay sathi
Literature, Poem Rang gaye Rangon me | रंग गए रंगों में पानी था मैं ना कोई था रंग लोगों ने क्या-क्या रंग डाला ... sanjay sathi
Literature, Poem Chamakte dikhe hain | चमकते दिखे हैं रात के पन्नों पर पुरानी यादों के कुछ भविष्य के सपन�... sanjay sathi
Literature, Poem Maut se Samna | मौत से सामना मरने की चाह रखता हूँ साथी कुछ कर गुजरने की कामना विच�... sanjay sathi
Literature, Poem Banege Samandar | बनेंगे समुन्दर बनेगें हम ऐसा समंदर सब नदियां आएंगी अंदर । माना �... sanjay sathi
Literature, Poem Musaafir hun | मुसाफ़िर हूँ मुसाफ़िर हूं यारों फिरता जग सारा चला अकेला कहीं स�... sanjay sathi
Literature, Poem Bhavnayen | भावनायें भावों से शब्दों का सृजन है शब्दों से है भावों की बौछर ... sanjay sathi
Literature, Poem Banke Dariya | बनके दरिया बनके दरिया हुं बहने लगा जिधर तू चली उधर बह चला तू �... sanjay sathi
Literature, Poem Viyaktitv ka hai astitv | व्यक्तित्व का है अस्तित्व व्यक्तित्व का है अस्तित्व इतिहास गवाह है इसका &nbs... sanjay sathi
Literature, Poem Kalpanaon me hakiqat | कल्पनाओं में हक़ीक़त कल्पनाओं में आ हकीकत को मिलके हम दोनों ढूंढें ख�... sanjay sathi
Literature, Poem Karm h mera pran | कर्म है मेरा प्रण युद्ध हो असत्य से हर बार लड़ूंगा अपने हो विपक्�... sanjay sathi
Literature, Poem Yakhya prashn | यक्ष प्रश्न पांच साल की परीक्षा में हर चेहरे पर है नकाब &... sanjay sathi
Literature, Poem Pankh mere | पंख मेरे पंख मेरे होते तो मैं उड़ जाती उड़ – उड़ के मीठे फ�... sanjay sathi
Literature, Poem Dhuaan jahan bhee uthe | धुआं जहां भी उठे पैकरों के पीछे पैकारों की कई कहानियां हैं क... sanjay sathi
Literature, Poem Gumshuda hain vo | गुमशुदा हैं वो हंसना था जब हंसे नही जो बेवजह आज उनको हंसत�... sanjay sathi
Literature, Poem Ammooman vo log | अमूमन वो लोग इसी तरह मिलते हैं अमूमन वह लोग जो तानों में ही अ�... sanjay sathi
Literature, Poem Safar abhi baaki hai | सफ़र अभी बाकी है ज़रा धीरे धीरे चल सफर अभी है बाकी पैमाना भरके �... sanjay sathi
Literature, Poem Andhere me jaaunga | अंधेरे में जलाऊंगा अंदर धंस रहा हूं ….. खुद को बाहर कैसे मैं नि�... sanjay sathi
Literature, Poem Bharose ka aashiyana jalta h / भरोसे का आशियाना जलता है अपने ही अपनों पर जब आफत बन जाए लगता है जीवन में औ�... sanjay sathi
Literature, Poem Har umra ki duniya | हर उम्र की दुनियां हर उम्र की दुनियां अलग होती है कभी बड़ी तो कभी... sanjay sathi
Literature, Poem Jhul gaye kuch lekar armaan | झूल गए कुछ लेकर अरमाँ झूले गए कुछ लेकर अरमां तेरे बेटे भारत मां आई जब ... sanjay sathi
Literature, Poem Log kahte hain humne ghar banaya | लोग कहते हैं हमने घर बनाया बड़े प्यार से ईंट – पत्थरों को सजाया घर दिखाने को हम... sanjay sathi
Literature, Poem Naye sire se | नए सिरे से मैं जीना सीख रहा हूँ सामने हैं मेरे कई प्रश्न &nbs... sanjay sathi
Literature, Poem Khudka kabristan | खुदका कब्रिस्तान अकड़ के चलता है आज हर पीने वाला खुद को अर्थव्यवस्थ�... sanjay sathi
Literature, Poem Andhi daud | अंधी दौड़ बहुत पड़ी पुस्तक पोथी क्या हुआ स्वार्थी ? ढ़ोंग सब �... sanjay sathi
Literature, Poem Parivartan | परिवर्तन हमने वक्त को बदला वक्त ने हमको बदला चला अदला बदली �... sanjay sathi
Literature, Poem Guruvar | गुरुवर जलाई ज्ञान की ज्योति बहाई प्रेम की गंगा बनाया हमको उ�... sanjay sathi
Literature, Poem Hansta hun Tanhai me हमेशा ऊंचाइयों में उड़ने का हौसला रखा कुछ भी हो �... sanjay sathi
Literature, Poem Madari aur Manav | मदारी और मानव करती प्रकृति खुद को संतुलन स्वच्छ होती वायु ,नीलगगन ह�... sanjay sathi
Literature, Poem Kuchh prashn | कुछ प्रश्न मासूम निगाहें देखती अपलक लिखने पढ़ने की है उनमे�... sanjay sathi
Literature, Poem Savaal Antas Sambhaal | सवाल अंतस संभाल खुद को खोज तू हर रोज कमतर न आंक ये समझ कल क्या ... sanjay sathi
Literature, Poem He Param Parmatma | हे परम परमात्मा हे परम तत्व हे परमात्मा हे परम तत्व हे पर�... sanjay sathi
Literature, Poem Dhuaan Bankar rah gaye जलके रोशन हो न पाये धुँआ ही बनकर रह गए जलाया हम... sanjay sathi
Literature, Poem Himalay ki unchaiyon se puchho | हिमालय की ऊंचाइयों से पूछो हिमालय की ऊंचाइयों से पूछो गहराइयों में है कौन ? गहराइ... sanjay sathi
Literature, Poem Jalke Roshan | जलके रोशन जलके रोशन हो न पाये धुँआ ही बनकर रह गए जलाया हमें क्�... sanjay sathi
Literature, Poem Sandali dhoop | संदली धूप सुबह- सुबह की संदली धूप जब पड़ती है खिल उठता है तन, मन ह�... sanjay sathi
Literature, Poem Yaadein | यादें याद आती है हमको वह पल जब थे दीवाना कंवल का खिलना वो भं... sanjay sathi
Literature, Poem Tu kahan gaya | तू कहाँ गया सब कुछ शुन्य हो रहा मेरा दोस्त न जाने कहां जा रह... sanjay sathi
Literature, Poem Jindagi ki patang | ज़िन्दगी की पतंग खामोशी तेरी कुछ कह रही है सदा तू क्यों है खफा ? पास आ प�... sanjay sathi
Literature, Poem Paas to aa | पास तो आ पास तो आ … कुछ गुफ्तगू कर मौत से यू ना डर वक्त मौत के ... sanjay sathi
Literature, Poem Khudki khoj | खुद की ख़ोज कभी खुद की गहराइयों में उतरे डर ने कभी उतरने ही नहीं द... sanjay sathi
Literature, Poem Banke meri sahas | बनके मेरी साहस तू बनके मेरी साहस रग में बहती है धड़कनों से तूने यह... sanjay sathi
Literature, Poem Zindagi k panne | ज़िन्दगी के पन्ने जिंदगी के किताब के पन्नों में रात और दिन एक -एक पेज ... sanjay sathi
Literature, Poem Nav Aakaar | नव आकार तपे आग में नित हाव-हाव रंग लाल हो बनता स्वभाव रक्त त... sanjay sathi
Literature, Poem Raat ke panno me | रात के पन्नो मे रात के पन्नों पर …. पुरानी यादों के कुछ तो कुछ भव�... sanjay sathi
Literature, Poem Varsha | वर्षा प्यासी धरती प्यासा वन पिघल उठा बादल का मन टिप टिप पा�... sanjay sathi
Literature, Poem Aarzoo | आरज़ू तू बन जाए मैं मैं बन जाऊं तू दिल में ना रहे कोई आरजू …... sanjay sathi
Literature, Poem Nishabd hun | निःशब्द हूँ नि:शब्द हूं स्तब्ध हूं समझाने वाला मौन हो गया कैसे क�... sanjay sathi
Literature, Poem Vicharon ka sansaar | विचारों का संसार बादल उमड़ – घुमड़ रहे बिजली भी चमक रही सहमा सहमा सा सब �... sanjay sathi
Literature, Poem Karzdar hun main | कर्ज़दार हूँ मैं कर्जदार हूं मैं सबका जिन्होंने समझा उनका जिन्होंने... sanjay sathi
Literature, Poem Shankhnaad | शंखनाद अग्नि सा प्रचंड तेज वायु सा प्रबल वेग धर धरा का धैर्�... sanjay sathi
Literature, Poem Aanand | आनंद मृत्यु का भय आनंद की है बाधा जीवन को जिसने प्रेम से सा... sanjay sathi
Literature, Poem Purusharth | पुरुषार्थ अंधियारी रात है स्तब्ध मन आकुल -व्याकुल पसीने से लतफथ�... sanjay sathi
Literature, Poem Sawaal jawaab | सवाल ज़वाब हर तरफ लाशों ही लाशों का मंज़र है कौन है ? वार करता सीन... sanjay sathi
Literature, Poem Samajh na paye | समझ न पाए समझ ना पाए हम जिंदगी को क्या हकीकत है ? क्या फसाना ? &... sanjay sathi
Literature, Poem Pankhudiyaan | पंखुड़ियां यूं तो पंखुड़ियां सुखी हैं पर भाव अभी भी है हरे इस आप�... sanjay sathi
Literature, Poem Nigahen | निगाहें आपकी नज़रों को जब हमने देखा उसमें एक छलकता समंदर नजर आ�... sanjay sathi
Literature, Poem Chhoti Chhoti si khushiyan | छोटी-छोटी सी खुशियां छोटी-छोटी सी खुशियां थी छोटी सी अटखेली, याद आती है वो ... sanjay sathi
Literature, Poem Fakira ki Fakiri | फकीरा की फकीरी सब में कोई तो है जो सब को समझता है सदियों से देखता आ रह�... sanjay sathi
Literature, Poem Baaten karte rahna A चाहे हो कितने भी झगड़े बातें करते रहना लेना जिम्म... sanjay sathi
Literature, Poem Niyaay kahin hamko mil jaay कितने चक्कर हमने लगाए न्याय कहीं हमको मिल जाए �... sanjay sathi
Literature, Poem Dusra lahar Kovid-19 कोविड का लहर फिर ढाया कहर आया अब नए नए स्ट्रेन में नए- न... sanjay sathi
Literature, Poem Rangmanch | रंगमंच रंगमंच के हम किरदार निभाएं रोल असरदार खुद ही समझे खुद ... sanjay sathi
Literature, Poem Kuchh Naya kar | कुछ नया कर अभाव में ही बनता स्वभाव जीवन से ना हो अलगाव निज अं�... sanjay sathi
Literature, Poem Hamne dekhe the josapne हमने देखे थे जो सपने टूट गए सारे वो अपने चली थी �... sanjay sathi
Literature, Poem Jan gan man | जन गण मन जड़ से जल तो ऊपर जाता बाकी का समझ नहीं आता जड़ को जो ह�... sanjay sathi
Literature, Poem Maikhaane me | मयखाने में मयखाने में बैठे मय औऱ मीना साथ में पीना बैठने सोचे …�... sanjay sathi